JOJOBA
FARMING
परिचय
जोजोबा (Jojoba)
एक विदेशी मूल का पौधा
है. इसे होहोबा के नाम से भी जाना जाता है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में जोजोबा की
काफी मांग है. भारत में भी अब इसकी खेती शुरू की गई है. राजस्थान के किसान (Farmers) जोजोबा के पौधे लगा रहे हैं. यह रेगीस्तानी पौधा
है. ऐसे में इसके पौधे को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं पड़ती है. हमारे देश में कई
अरसे से तिलहन (Oilseeds) की खेती होती रही है.
भारत में सरसों, राई, मूंगफली, तिल, सोयाबीन और सूरजमुखी से तेल निकाला जाता है. ऐसे ही
जोजोबा भी एक विदेशी तिलहनी फसल है. इसका उत्पादन अरिजोना, मेक्सिको और दक्षिण कैलिफोर्निया में बहुत पहले से
होता रहा है. अब भारत में भी इसकी खेती होने लगी है|
देश के कई इलाके में किसान पानी की किल्लत महसूस करते हैं, अपनी खेती की सिंचाई के लिए उन्हें पानी नहीं मिल पाता. ऐसे में राजस्थान के कई किसानों ने जोजोबा की खेती शुरू की है. जोजोबा के सीड से एक तेल निकाला जाता है जो काफी महंगा बिकता है. 1 एकड़ जोजोबा की खेती से 5 क्विंटल सीड निकलता है. अगर बाजार की बात करें तो जोजोबा के 1 लीटर तेल की कीमत ₹7000 है. 1 एकड़ में 5 क्विंटल सीड से 250 लीटर तेल निकल सकता है. राजस्थान के हनुमानगढ़ इलाके के कई किसान एक एकड़ में जोजोबा की खेती से 1 साल में 17 लाख रुपए की कमाई कर रहे हैं.
किसानों की बदल रही किस्मत
राजस्थान के हनुमानगढ़ के मुंडा में कई किसान जोजोबा की खेती कर रहे हैं. इस इलाके में जोजोबा तेल की खेती काफी फेमस हो चुकी है. जोजोबा के तेल को चेहरे के दाग और झुर्रियां आदि हटाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, इसकी मेडिसिनल वैल्यू अच्छी होने की वजह से जोजोबा की खेती को काफी बढ़ावा मिल रहा है. राजस्थान के कई इलाके में किसान जोजोबा की खेती से अमीर बन रहे हैं.
जोजोबा तेल की कीमत
बाजार में 50ml जोजोबा ऑयल ₹500 और 100ml एक हजार रुपए में मिलता है. जोजोबा के पौधे में बिना पानी के भी खड़े रहने की ताकत होती है. जोजोबा का पौधा 4 मीटर तक लंबा हो सकता है. JOJOBA का पौधा लगाने के 1 साल बाद पैदावार शुरू हो सकती है. जोजोबा के बीज में 50 फ़ीसदी तक तेल निकल जाता है. जोजोबा ऑयल -2 से -55 डिग्री तापमान तक सही सलामत रह सकता है. Jojoba के दस मादा पौधों पर जोजोबा का एक नर पौधा लगाया जाता है. जनवरी से जून के बीच जोजोबा में सीड आ जाता है. जोजोबा के एक पेड़ से 2 किलो तक बीज निकल सकता है|
जोजोबा की खेती करने वाले किसान
हनुमानगढ़ में जोजोबा की खेती करने वाले किसान अमर सिंह सिहाग ने कहा, "jojoba के एक पौधे से दूसरा पौधा 2 मीटर की दूरी पर लगाया जाता है जबकि पंक्ति से पंक्ति की दूरी 4 मीटर रखी जाती है. 1 एकड़ में जोजोबा के 500 पौधे लगाए जा सकते हैं. अगर आप तेल की मार्केटिंग कर सके तो 1 एकड़ जोजोबा के पौधे से ₹50 लाख तक की कमाई हो सकती है. राजस्थान के कई इलाकों में जोजोबा के पौधे ₹28 में मिल जाते हैं. एक बार जोजोबा का पौधा लगाने के बाद 200 सालों तक सीड देता रहता है|
उन्होंने अपने भाई और बेटे के साथ मिलकर जोजोबा की खेती करने का फैसला किया. साल 2007 में जोजोबा की खेती शुरू हुई. पहली फसल 3-4 साल बाद आई थी. जोजोबा का पौधा मैक्सिको से राजस्थान पहुंचा है. राजस्थान के कई इलाकों में किसान JOJOBA को खरा सोना मानते हैं.
जोजोबा की खेती कैसे करे
हमारे देश में विभिन्न तरह के तिलहनों की खेती की जाती है
जैसे मूंगफली, सरसों, राई, सूरजमुखी और तिल आदि से तेल
निकाला जाता है. इसी तरह जोजोबा (Jojoba) एक विदेशी तिलहनी फसल है.
जिससे तेल प्राप्त होता है.
जोजोबा की खेती:
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जोजोबा पौधे की देखभाल करना ज़्यादा मुश्किल नहीं है. यदि
गर्म, शुष्क
जलवायु, अच्छी जल
निकासी वाली मिट्टी और थोड़ी सी सिंचाई की जाए तो पौधे आसानी से उग सकते हैं|
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आपकी जानकरी के लिए बता दें कि रेतीली मिट्टी में Jojoba के पौधा उगाना सबसे आसान है|
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खास बात यह हैं कि इसको किसी भी तरह की उर्वरक की आवश्यकता
नहीं होती है|
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जोजोबा को सबसे गर्म स्थान पर भी लगाया जा सकता है और यही
कारण है कि इसको डेज़र्ट गोल्ड कहा जाता है|
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ध्यान रहे कि जोजोबा पौधों की सिंचाई स्थापित होने तक ही
करें उसके बाद इसे पानी की इतनी जरूरत नहीं होती है.
जोजोबा के फायदे (Benefits of Jojoba)
जोजोबा का तेल (jojoba
oil) गंधहीन और गुणवत्तापूर्ण होता है. इसके तेल में नमी की मात्रा भी
बहुत कम होती है. इसलिए कास्मेटिक कंपनियों की यह पहली पसंद बन गया है.
इसमें निकलने वाले तेल का रासायनिक संगठन सेबम (Sebum) से विल्कुल मिलता
जुलता है. जो कि हम मनुष्यों की त्वचा से निकलने वाला तेलीय पदार्थ होता है. इसके
तेल का उपयोग बालों और त्वचा पर रोजाना किया जा सकता है. यह बालों और त्वचा पर
औषधि का काम करता है.
जोजोबा का कवथनॉक काफी अधिक है.
इसलिए इसको इंधन के रूप में जलाने से अधिक ऊर्जा व बहुत कम सल्फर उत्पन्न होता है.
इस कारन से इसे वातावरण रक्षक के रूप में देखा जा रहा है.
इसकी खेती के लिए अच्छी जमीन, ज्यादा जल, उर्वरकों व कीटनाशकों तथा
सुरक्षा की ज्यादा आवश्यकता नही होती है. इसलिए यह पूर्ण तौर पर वातावरण रक्षक, कम खर्च और अधिक उत्पादन
वाली खेती है. जोजोबा की खेती देश की कृषि ने क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है.
जोजोबा की उत्पत्ति एवं क्षेत्र (Origin and area of jojoba)
जोजोबा एक रेगिस्तानी और विदेशी मूल
का पौधा है. इसका अंगेजी नाम जोजोबा है इसे हिंदी में होहोबा नाम
से पुकारा जाता है. जोजोबा का वैज्ञानिक नाम साइमंडेसिया चायनेंसिमइसे (Simmondsia
Chinensis) होहोबा है. यह मूलतः एक रेगिस्तानी पौधा है.
विश्व में जोजोबा को मुख्यरूप से
मैक्सिको, कैलिफोर्निया
और एरिजोना के सोनारन रेगिस्तान में उगाया जाता है. इन देशों के अलावा इसकी खेती
इस्ज्रायल, अर्जेंटीना, आस्टेलिया, पश्चिमी एशिया एवं कुछ
अफ़्रीकी देशों की जा रही है.
भारत में जोजोबा की खेती मुख्य रूप से राजस्थान में की जाती है. राजस्थान सरकार द्वारा इसकी
खेती के प्रोत्साहन के लिए भारतीय राज्य राजस्थान राजस्व अधिनियम 1955 के अंतर्गत बंजर भूमि का
राजस्थान सरकार के पट्टे पर आवंटन प्राप्त करने का प्रावधान है.
राजस्थान में इसकी खेती को विकसित
करने में इस्ज्रयाली वैज्ञानिको की सहायता से दो फार्म विकसित किये गए है. जिसमें
से एक फतेहपुर सिकरी और दूसरा ढन्द जयपुर में स्थिति है.
जोजोबा का
वानस्पतिक विवरण (Botanical description of jojoba)
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जोजोबा का पौधा एक सदाबहार, पर्ण युक्त काष्ठीय, द्विलिंगी तथा बहुशाखित होता है.
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इसका पौधा 6 मीटर लंबा और 12 मीटर गहरी जड़ों वाला होता है.
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इस पौधे के पत्ते आमने-सामने, अंडाकार या थोड़े लम्बे-गोल, धूसर-हरे, लैदरी 2.5 से 3.5 सेमी० लम्बे तथा विशेष उत्तको से युक्त होते है. जिनमे किनोल की सांद्रता अधिक
मात्रा में पाई जाती है
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इसमें नर फूल प्रायः बड़े, पीले रंग के, 10
से 12 पुंकेसर युक्त गुच्छे में होते है.
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मादा फूल छोटे, प्रायः कक्षीय या गांठों पर खिलते है. इनका रंग हल्का हरा होता है तथा 5 दल पुंज युक्त मुलायम तथा रोयेदार होते है.
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इसके फल हरे व केपस्यूल के आकार के होते है. इनमे प्रायः 1 से 2 बीज होते है. जो मूंगफली के आकार के गहरे रंग के होते है.
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जोजोबा का पौधा द्विलिंगी होने के कारण बाद में फूल आने पर ही पहचाना जाता है.
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मादा पौधे, नर फूलों से परागन के बाद फूलों के बीज का उत्पादन करते है.
जोजोबा की खेती के लिए जलवायु एवं भूमि (Climate and soil for Jojoba cultivation)
जोजोबा के पौधे न्यूनतम माइनस 2 डिग्री से 55 डिग्री तक तापमान सह लेते
है. इस कारण इसे सभी जगह उगाया जा सकता है. इसके पौधे को 300 मिमी० वर्षा की जरुरत होती
है. लेकिन 125 मिमी० बारिश वाले क्षेत्रों में यह अच्छी तरह पल जाते है. इसके
पौधों को कोहरा और धुंध से हानि पहुंचती है. उतपादन भी कम हो जाता है.
जोजोबा की खेती के लिए रेतीली, अच्छे जल निकास वाली, अम्ल रहित भूमि की आवश्यकता
होती है. मिट्टी का पी० एच० मान 7.3 से 8.3 के मध्य होना चाहिए.
जोजोबा का पौध रोपण (jojoba planting)
जोजोबा के पौध रोपण के लिए बीजो से पहले नर्सरी तैयार कर
ले या फिर बीजों को सीधे खेत में लगाकर उगाया जा सकता है. इसकी पौधे के अच्छे
विकास के लिए पौधे से पौधे की दूरी 2 मीटर और पंक्ति से पंक्ति की दूरी 4 मीटर रखना उचित होता है.
जोजोबा की सिंचाई एवं उर्वरक (Jojoba Irrigation and
Fertilizer)
जोजोबा की खेती में अधिक सिंचाई की
जरुरत नही पड़ती है. लेकिन पौधों के रोपण के तुरंत बाद सिंचाई करनी चाहिए. इसके
उप्रांत जब तक पौधे की जड न ज़मने लगे तब तक सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है. पौधे की
जड़े दो वर्ष में गहराई तक चली जाती है. इसके बाद सिंचाई की आवश्यता न के बराबर
होती है. शुरुवात में ड्रिप सिस्टम का उपयोग किया जाय तो पौधों का विकास अच्छा
होता है.
जोजोबा के पौधों को किसी विशेष उर्वरक की आवश्यकता नही होती है. लेकिन पौधों के
अच्छे विकास के लिए आप थोड़ी मात्र में खाद एवं उर्वरक का प्रयोग कर सकते है|
जोजोबा की उपज (jojoba yield)
जोजोबा का पौधा तीन से चार साल में फल देना शुरूकर देता है. लेकिन शुरुवात में
इसका पौधा कम फल देता है. लेकिन जब पौधा वयस्क हो जाते है तो औसतन 10 से 13 कुंटल बीज प्रति हेक्टेयर प्राप्त हो जाते है. इनके बीजों का बाजार में अच्छा
मूल्य मिलता है. वर्तमान समय में इनका बाजार मूल्य लगभग 30,000 से 35,000 रुपये प्रति कुंतल है. भाविष्य में इसमें वृध्दि की संभावना है|